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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका
चतुर्थ ब्रह्मचर्य महाव्रत का या मैथुन त्याग महाव्रत का प्रतिक्रमण
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अहावरे चउत्थे महव्वदे सव्वं भंते! अबंभं पच्चक्खामि जावज्जीवं तिविण मणसा वचसा - कारण, से देविएसुवा, मणुसिएसुवा, तिरिच्छिएसु वा, अचेयणिएसु था, कट्ठकम्मेसु वा, चित्त कम्मेसु वा पोत्त- कम्मेसु वा, लेप्य कम्मेसु वा, लय कम्मेसु वा, सिल्ला कम्मेसु वा, गिहकम्मे वा, भित्ति कम्मे वा भेद कम्मेसु वा, भण्ड- कम्मेसु वा, धादुकम्मेसु वा, दंत- कम्मे वा, हत्य- संघट्टणदाए, पाद- संघट्टणदाए, पुग्गल - संघट्टणदाए मणुण्णामणुण्णेसु सद्देसु, मणुष्णामगुण्णेसु रूखेसु, मण्णामपणे गंधेसु, मणुष्णामणुण्णेसु रसेस, मणुष्णामणुण्णेसु फासेसु, सोदिंदय परिणामे, चक्खिदिय- परिणामे, घाणिंदिय- परिणामे, जिब्भिंदिय परिणामे, फासिंदिय परिणामे, णो इन्दिय- परिणामे, अगुत्तेण, अगुत्तिंदिएण पणेव सयं अबंधं सेवाविज्ज, णो अण्णेहिं अबंधं सेविज्वंतं, वि समणुमणिज्ज तस्स भंते! अचारं पडिक्कमामि, शिंदामि, गरहामि, अप्पाणं वोस्सरामि ।
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अन्वयार्थ - ( भंते! ) हे भगवन् ! ( अहावरे चउत्थे महव्वदे ) अब चतुर्थ महाव्रत में ( सव्वं अबंभं पच्चक्खामि जावज्जीवं तिविहेण मणसावचसा-काएण ) सभी प्रकार के अब्रह्म का मन से, वचन से, काय से जीवन पर्यन्त के लिये त्याग करता हूँ । ( से ) उस चतुर्थ महाव्रत में ( देविएसु वा माणुसिएसु वा तिरिच्छिएस वा अचेयणिएसु वा ) देवियों में या मानुषियों में या तियंचनियों में या अचेतन स्त्रियों में ( कट्ठ-कम्मेसु वा ) काष्ठ कर्मों में या ( चित्त कम्पेसु वा ) चित्र कर्मों में या ( पोत्तकम्मेसु वा ) पोत कर्मों में या (लेप्प-कम्मेसु वा ) लेप कर्मों में या (लय कम्मेसु वा ) लय में कर्मों या (सिल्ला कम्मेसु वा ) शैल कर्मों में या ( गिह कम्मेसु वा ) गृह कर्मों में या ( भित्ति कम्पेसु वा ) भित्तिकर्मों में या ( भेद-कम्मेसु वा ) भेद कर्मों में या ( भण्ड-कम्मेसु वा ) भाँड कर्मों में या ( धादु-कम्मेसु वा ) धातु कर्मों में या ( दंत- कम्मेसु वा ) दंत कर्मों में या ( हत्य-संघट्टणदाए ) हाथों के संघर्षण से ( पाद संघट्टणदाए) पैरों के संघर्षण से ( पुग्गल संघट्टणदाए) पुद्गल के संघर्षण से ( मणुष्णा मणुण्णेसुसद्देसु) मनोज्ञ-अमनोज्ञ शब्दो में ( मणुष्णा मणुण्णेसु-रूवेसु) मनोज्ञ