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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका
चारित्राचार तथा प्रथम अहिंसा महाव्रत के दोषों की आलोचना
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चरितायारो तेरसविहो परिहाविदो पंच- महव्वदाणि, पंच-समिदीओ, तिगुत्तीओ चेदि । तत्य पढमे महव्वदे पाणादिवादादो वेरमणं से पुढविकाइया जीवा असं खोज्जासं खोज्जा, आऊ काइया जीवा असंखेज्जासंखेज्जा, तेऊ काईया जीवा असंखेज्जासंखेज्जा, वाऊकाइया जीवा असंखेज्जा संखेज्जा, वणप्फदिकाइया जीवा अणंताणंता हरिया, बीआ, अंकुरा, छिण्णा, भिण्णा, एदेसिं उद्दावणं, परिदावणं, विराहणं उवघादो कदो वा, कारिदो वा, कीरंतो वा, समणुमण्णिदो तस्स मिच्छा में दुक्कडं ।
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अन्वयार्थ --(पंचाणि पाँन महान एंच समिदीओ) पाँच समिति (च ) और (तिगुत्तीओ ) तीन गुप्ति ( इदि ) इस प्रकार ( तेरसविहो ) तेरह प्रकार का ( चारितायारो ) चारित्राचार हैं ( तस्स ) उस चारित्राचार का किसी भी कारण (परिहाविदो ) खंडन हुआ हो या उसमें दोष लगा हो तो (मे) मेरा ( दुक्कडं ) पाप (मिच्छा ) मिथ्या हो । मेरे दुष्कृत मिथ्या हो ।
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[ शेष अर्थ दैवसिक प्रतिक्रमण में देखें ]
बे- इंदियाजीधा असंखेज्जासंखेज्जा कुक्खि, किमि, संख, खुल्लयवराडय - अक्ख- रिड्डय गण्डवाल, संबुक्क, सिप्पि, पुलविकाइया एदेसिं उहावणं, परिदावणं, विराहणं उवधादो, कदो वा, कारिदो वा, कीरंतो वा, समणुमणिदो तस्स मिच्छा मे दुक्कडं ।
ते इंदिया - जीवा असंखेज्जासंखेज्जा कुन्युद्देहियविच्छिय- गोभिंदगोजुव- मक्कुण पिपीलियाइया, एदेसिं उद्दावणं, परिदावणं, विराहणं, उवघादो, कदो वा, कारिदो वा, कीरंतो वा समणुमणिदो तस्स मिच्छा मे दुक्कडं ।
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चउरिंदिया- जीवा असंखेज्जासंखेज्जा दंस-मसस मक्खि- पयंगकीड - भमर महुवर गोमच्छियाइया, एदेसिं उद्दावणं, परिदावणं, विराहणं, उवघादी, कदो वा, कारिदो वा, कीरंतो वा, समणुमणिदो तस्स मिच्छा मे दुक्कडं ।
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