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सन्धि
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चन्दना-तपग्रहण
राजा चेटक, उनके पुत्र-पुत्रियों तथा चित्रपट
धराधीश श्रेणिकने पूछा-हे भगवन , मुझे उस आर्यिका चन्दनाका चरित्र सुनाइए,जिसके शरीरमें चन्दनकी सुगन्ध है तथा जिसने मिथ्यात्वरूपी अन्धकारको दूर कर दिया है। राजाके इस प्रश्नको सुनकर गौतम मुनिवरने कहा हे श्रेणिक, मैं चन्दनाका वृत्तान्त कहता हूँ, तुम सुनो। सिन्धु-विषय ( नदी-प्रधान विदेह नामक प्रदेश ) में वैशाली नामक नगर है जहाँके घर अपनी शोभासे देवोंके विमानोंकी शोभाको भी जीतते हैं । उस नगरमें चेटक नामक नरेश्वर निवास करते हैं। उनकी महारानी महासती सुभद्रासे उनके धनदत्त, धनभद्र, उपेन्द्र, शिवदत्त, हरिदत्त, काम्बोज, कम्पन, प्रयंग, प्रभजन और प्रभास नामक पुत्र हए । उनकी अत्यन्त रूपवती सात पुत्रियाँ भी हुईं जिनके नाम हैं, श्रेयांसिनी सुभमा प्रियकारिणी, जनमनोहारिणी मुगावती, सुप्रभा देवी, प्रभावती, चेलिनी बालहंसलीलागामिनी ज्येष्ठा और विशेष रूपसे पूज्य चन्दना । ये सभी कन्याएं अपनी रूपऋद्धिसे इन्द्रके मनको भी अनुरक्त करती थीं। प्रियकारिणीका विवाह श्रेष्ठ नायवंशी कुण्डपुर नरेश सिद्धार्थके साथ कर दिया गया। मंदगामिनी मृगावती, कौशांबीके सोमवंशी राजा शतानीक को ब्याह दी गयीं । चन्द्र किरणोंके समान चमकीले नखोवाली सुप्रभाका विवाह सूर्यवंशमें उत्पन्न दशरथ राजाके साथ हो गया। उर्वशी और