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भगवान् महावीरके २५०० निर्वाण महोत्सव के अवसरपर प्रकाशित ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी प्रन्थमाला अपभ्रंश प्रत्थांक १३
महाकवि पुष्पदन्त विरचित
वीरजिनिंदचरिउ
सम्पादन-अनुवाद
डॉ. होरालाल जैन, एम. ए., एल-एल. बी. डी. लिट्..
भूतपूर्व संस्कृत प्राध्यापक मध्यप्रान्त शिक्षा विभाग, संस्थापक निदेशक प्राकृत, जैनधर्म
और अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली ( बिहार ), प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष : संस्कृत - पालि-प्राकृत विभाग, इंस्टीटघुट ऑफ लॅग्वेजेज एंड रिसर्च, जबलपुर विश्वविद्यालय ( मप्र )
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भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
वीर निर्वाण संवत् २५००, विक्रम संवत् २०२१, सन् १९७४ ईस्वी प्रथम संस्करण - मूल्य दस रुपये