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चौथा भाग : पहला कोष्ठक
(१) जी भोजनमात्रेयः, हजम हो जाने के बाद भोजन करना--अत्रि ऋषि ने यह आयुर्वेद का सार कहा । (२) न्याय्या वृत्ति हस्पतिः, मनुष्य को प्रत्येक प्रवृत्ति न्याययुक्त हो-वृहस्पति ऋषि ने यह नीतिशास्त्र का तत्त्व बतलाया । (३) कपिलः प्राणिनां रक्षा, प्राणिमात्र की रक्षा करनी चाहिए-कपिल मुनि ने यह धर्मशास्त्र का निचोड़ सुनाया। (४) पाञ्चालः साम्यभावना । प्राणिमात्र पर समभाव रखना चाहिये--पञ्चालऋषि ने यह अध्यात्मवाद का मूल मन्त्र दिखलाया ।
(राजा एवं राज्यसभा पहित) १२. इंग्लिश के प्रसिद्ध भारतीय लेखक
स्वामी विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर, सरोजिनी नायड़, चारूदत्त, जवाहरलाल नेहरू, हरीन्द्रनाथ चटर्जी, अरविन्द घोष, मुल्कराज आनन्द, डाक्टर राधाकृष्णन् ।
- विश्ववर्पण १३. बुरे लेखक--- (क) बुरे लेखक वे हैं, जो अपने असक्त विचारों की अभिव्यक्ति दुसरों की सुन्दरभाषा के माध्यम से करते हैं।
–ी० सी० सिंवदेनश्वर्ग (ख) अपनी पुस्तकों की प्रशसा करनेवाले लेखक अपने बच्चों
की प्रशंसा करनेवाली माता के समान है। --द्विजरायली