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यसूत्वकला के बोज
कनकभूषण संग्रहणोचितो,
यदि मणिस्त्रपुणि बिनियुज्यते । न च विरोनि न चाप्ययभाषते, भवति योजयितुर्वचनीयता ।
-हितीपधेश २१७२ सोने के आभूषण में जोड़ने योग्य मणि यदि शीशा आदि धातु के आभूषण में लगाया जाय, तो न वह मधुर ध्यनि करता है और न हि सुशोभित होता है, प्रत्युत संयोजया की निन्दा होती है।