SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौथा भाग : पहला कोष्ठ जीता है, वह पशुओं का सौभाग्य है अन्यथा उन बचारों को खाने के लिए तृण कहां से मिलते ! ७. अंधकार है वहाँ, जहां आदित्य नहीं है, मुर्दा है वह देश, जहां साहित्य नहीं है । --मैमिलीशरण गुप्त साहित्यपाथोनिधिरतलबध्यैः, केषां कवीनां न करप्रसारः । लभ्येत वा नेति निजस्य भाग्यं. उद्योगिनी ना जति प्रयत्नम् ।। - सुभाषितरत्नभाणामार, पृष्ठ ३६ साहित्य-रत्नाकर के रत्नों की प्राप्ति के लिए कौन कवि हाथ नहीं पनारले ? मिलना न मिलना तो भाग्य की बात है, लेकिन उद्यमी प्रयत्न करना नहीं छोड़ते । इंग्लिश के कुछ प्रसिद्ध साहित्यकार शेक्सपियर, मिल्टन, शैले, कोटस्, वईसवर्थ, ब्राउनिग, वर्नार्डशा, कोलरिज, थामसहार्डी, चार्लस डिक्कज, स्काट, आदि । —धिश्वर्पण
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy