SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 771
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७ रुपया १. संसदास संसार में, रुपियो बड़ी रसाए । अरणजादा जाण्या वो, पडदे पछाण ॥ संतवास संसार में, के रूपियो के राम वो दाता है मुगतरी, वो सारे सब काम || २. कर मैं कलदार, मन बाह्या लूटो मजा । दुनियां में दिलदार, चेहराशाही चकरिया ! ३. दाम करे काम, दुनियां करें सलाम । • रुपिया हुवं जद टट्टू चाल धन के विविधरूप • रूपली पल्ले, जद रोही में चल्ले । • रूपली हुई जद, शोभली आपे ही आय जायें • रूपलालजी गुरु और सब चेला | | ४, जेब में हो नगदुल्ला, नाचे बेटा अब्दुल्ला | १८४ ५. नगद नापी बींद परगोजे कारणो । हुआ सौ, भागा भी हुआ हजार, फिरो बजार - सोरठा-संग्रह - राजस्थानी कहावतें - हिन्दी कहावत - राजस्थानी कहावतें . L ..
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy