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________________ ा भाग दूसरा कोष्ठक ६. घड़ी घड़ी घड़ियाल, प्रकट सद एम पुकारे ! भवर भवे ऊंघतां जागले मिनख जमारे ! दुनियां रं सिर दंड, घड़ी-घड़ी आयु घटतां । काठ सिरे करवत्त, बार कितियेक कटंतां । तिण हेतु चेत चेतन चतुर | धर्ममी दिलमांहि भए । सह बात सार संसार मे क्यूँहिक पर उपकार कर ७. लोकोपकारी जीवन के तीन सूत्र - सत्य, संयम और सेवा । K - भाषारुलोकसागर - विनोबा परोपकार का अर्थ है -- दूसरों का भला चाहना, दूसरों का भला करना और सेवा करना । - गांधी श्री तेनैव न कुण्डलेन, दानेन पाणिनं तु कङ्कणेन । विभातिकायः करुणापराणा, परोपकारैर्न तु चन्दनेन ॥ - भर्तृहरिनीतिशतक ७२ दयालु सत्पुरुषों के कान शास्त्रश्रवण से हाथ दान से, और शरीर परोपकार से शोभित होते हैं, लेकिन कुण्डल, कङ्कण और चन्दन से नहीं । X
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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