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________________ प्रत्युपकार [उपकार का बदला] . १. उपकार करना मनुष्यता का उच्चगुण है और उपकार चाहना पामरता है। २. महान्, मेघराज की तरह उपकार का बदला नहीं चाहते । -तिचवल्लुवर . .. ईसा ने दस कोढ़ियों के घाव साफ किए । एक ने आभार प्रकट किया, शेष यों हो गए। ४. मय्येव जीर्णतां यातु, यत् स्वयोपकृतं हरे ! जनः प्रत्युपकारार्थी, विपदामभिकाङ्क्षते । -वाल्मीकि रामायण लंकाविजय के बाद हनुमान विदा होने लगे, तब राम ने कहाहनुमान ! नुमने जो हमारा उपकार किया है. उसे हम हजम करना चाहते हैं अर्थात उसका बदला देना नहीं चाहते, क्योंकि प्रत्युपकार करने का इच्छुक व्यक्ति उपकारी के लिए वास्तव में विपत्ति की इच्छा करनेवाला होला है । ५. प्रत्युपकुरुते बह्वपि, न भवति पूर्वोपकारिणस्तुल्यः । -श्राद्धविधि प्रत्युपकारी-उपकार का बदला चुकानेवाला पूर्वोपकारी के बराबर कभी नहीं होता।
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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