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________________ वस्तुकला के बीज किन्तु विघ्न होते ही मीच - मनुष्य विघ्नों के होने के भय से काम का आरम्भ ही नहीं करते | मध्यम- मनुष्य काम का आरम्भ तो कर देते हैं, उसे बीच में छोड़ देते हैं । परन्तु उत्तमपुरुष जिस देते हैं, उसे बार-बार विघ्न आने पर भी पूरा करके ही छोड़ते हैं । ६. केषां न स्यादभिमतफला प्रार्थना ह्यत्तमेषु ॥ काम का आरम्भ कर - मेघडूत J ७. शास्त्रं बोधाय दानाय धनं धर्माय जीवितम् । वपुः परोपकराय, धारयन्ति मनीषिणः ॥ -- उत्तमपुरुषों की संपत्तियाँ, दुःखितों के दुःखों को शान्त करने के लिए ही होती है । —चन्दचरित्र, पृष्ठ ७० उत्तमपुरुष शास्त्रपठन ज्ञान के लिए, घन दान के लिये, जीवन धर्म के लिए और शरीर परोपकार के लिए धारण करते हैं । ¤
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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