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कल्पना के उदाहरण
१. पान और कं पल
पान पड़तो देख नै, हंसी जु क पलियाँ । मो बीती तो बीतसी, धीरी बप्पडियाह ।
--अनुयोगद्वार प्रमाणाधिकार के आधार पर
कली और फूलहंसती हुई कली से फूल ने कहा- कैसे हंस रही हो ? कली-फूल जो बनने जारही हूं। फूल-फूल बनने पर माली तोड़ लेगा। कली--खैर ! मिट्टी में तो मिलना ही है, किन्तु मरने से पहले किसी को सुवासित तो कर
दूंगी। ३. द्वार और प्ररोखा
मैं बड़ा हूं, मेरा सम्मान है, मेरे द्वारा ही प्रवेश-निर्गम होता है-ऐसे द्वार ने कहा । झरोखा बोला-क्या अभिमान करते हो ! बड़े होने पर भी स्वामी को तुम्हारा विश्वास नहीं है । रात पड़ते हो अथवा बाहर जाते ही तुम्हें बन्द कर दिया जाता है, क्योंकि तुम चार-डाकुओं को भी आने से नहीं रोकते, मैं स्वामिभक्त और विश्वासी