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बौथा भाग : पहला कोष्टक
५५ हुई। कवित्व ने उससे विवाह किया, उसका नाम कल्पना रखा। कवि लोग इसका आदर करने लगे। जिस समय यह पति (कवित्व) के साथ बन-ठनकर निकलती है, बड़ों-बड़ों का सिर चक्कर खाने
लगता है। ६. जो बिना अध्ययन के केवल कल्पना का आश्रय लेता
है, उसके पांखें तो हैं, किन्तु पग नहीं है। -कुबर्ड ७. अपवित्र कल्पना उतनी ही बुरी है, जितना बुरा अपवित्र कर्म।
-विमेकानम्ब
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