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प्राचीन एवं आधुनिक कवि
१. सर्वज्ञकल्पः कविभिः पुरातनै
रबीक्षितं वस्तु किमस्ति साम्प्रतम् । ऐर्दयुगीनस्तु कुशाग्रेधीरपि, प्रवक्ति यत्तत्सदृशं स विस्मयः ।। सार्वज्ञतुल्य पुराने कवियों ने न देखी हो, ऐसी वस्तु आज है ही क्या ? आज के तुच्छ-बुझिवाले व्यक्ति यदि उनके समान भी
कुछ कह दें, तो वह आश्चर्य है। २. सर सूर तुलसो शशी, उडुगण केशवदास |
अब के कवि खद्योत सम, जहँ-तहँ करत प्रकाश ।। ३. आधुनिक कवि स्याही में पानी ज्यादा मिलाते हैं ।