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१. अनुसिद्धसेन कवयः ।
कवियों में सर्वश्रेष्ठ सिद्धसेन दिवाकर हैं ।
२. कविरमरः कविरचलः, कविरभिनन्दनश्च कालिदासश्च । अन्ये कवयः कपयः, श्चापलमात्र परं दधति || -- सुभाषितरत्नभाण्डागार, पृष्ठ ३६ कवि तो वास्तव में अमर, अचल, अभिनन्दन और कालिदास हैं। दूसरे कबि तो मात्र चपलता धारण करते हैं, अतः बन्दर के समान हैं ।
३. कवयति पण्डितराजे, कवयन्त्यन्येऽपि भूरिविद्वांसः । नृत्यति पिनाकपाणी, नृत्यन्त्यन्येऽपि भूत बेतालाः ॥ - सुभाषितरत्नभाण्डागार, पृष्ठ ३६ कविता करते हैं, तब अन्य अनेक किन्तु वे ऐसे लगते हैं मानो ! भूत- वेताल नाच रहे हैं ।
जब 'पंडितराज जगन्नाथ' विद्वान् भी कविता करते हैं, शंकर के नाचते समय अन्य
महान् कवि
- हेमचन्द्राचार्य
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