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________________ २८ १. अनुसिद्धसेन कवयः । कवियों में सर्वश्रेष्ठ सिद्धसेन दिवाकर हैं । २. कविरमरः कविरचलः, कविरभिनन्दनश्च कालिदासश्च । अन्ये कवयः कपयः, श्चापलमात्र परं दधति || -- सुभाषितरत्नभाण्डागार, पृष्ठ ३६ कवि तो वास्तव में अमर, अचल, अभिनन्दन और कालिदास हैं। दूसरे कबि तो मात्र चपलता धारण करते हैं, अतः बन्दर के समान हैं । ३. कवयति पण्डितराजे, कवयन्त्यन्येऽपि भूरिविद्वांसः । नृत्यति पिनाकपाणी, नृत्यन्त्यन्येऽपि भूत बेतालाः ॥ - सुभाषितरत्नभाण्डागार, पृष्ठ ३६ कविता करते हैं, तब अन्य अनेक किन्तु वे ऐसे लगते हैं मानो ! भूत- वेताल नाच रहे हैं । जब 'पंडितराज जगन्नाथ' विद्वान् भी कविता करते हैं, शंकर के नाचते समय अन्य महान् कवि - हेमचन्द्राचार्य ५२
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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