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पाँचवा भाग : चौथा कोष्टक
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संरक्षण संस्था से आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ । फलतः उन्होंने मद्रास में अपना विचित्र सर्प फार्म खोला। इस एक एकड़ के सर्प फार्म में लगभग ३० जातियों के ३०० से भी अधिक सांप है। यहाँ साँपों का जहर निकाला जाता है | इसकी विष निकालने की प्रणाली भी अद्भुत एवं खतरनाक है । सांप को एक पतली छड़ से जिसके सिरे पर मुड़ा हुआ 'हुक' लगा होता है, सावधानी से पूरा दबोच लिया जाता है । फिर गर्दन से पकड़ कर सांप की एक पतली झिल्ली से मढ़े हुए काँच के शीशे पर डंक मारने को मजबूर किया जाता है, साथ ही साथ गर्दन पर दबाव किया जाता है, जिससे मटमैले रंग का तरल विष शीशे में उतर आता है। यह विष यथाशीघ्र बम्बई के हाफकिन इन्स्टीट्यूट में भेज दिया जाता है । वहाँ उसकी अल्पमात्रा घोड़े के शरीर में सुई द्वारा प्रविष्ट की जाती है । क्रमशः घोड़े के रक्त में जहरमोहरा पैदा हो जाता है, जिसका प्रयोग सांप द्वारा काटे हुये व्यक्ति पर किया जाता है।
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-- साप्ताहिक, हिन्दुस्तान, १ अगस्त १९७२ १२. रूमानिया का 'कैरोलग्रीन' नामक व्यक्ति अभी तक न सोया है और न उसको पकी हो आई है।
- हिंदुस्तान, १३ जून, १९७१ सोया - (मेड्रिड २६ सितम्बर) करनेवाला ६ वर्षीय 'वेलेन्टिन
१३. साठ साल से नहीं कृषि फार्म में काम