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१. पलुकामो हि मत्यः ।
मनुष्य का स्वभाव
- ऋग्वेद १।१७६०५
होता है ।
-- अभिज्ञान शाकुंतल
मनुष्य स्वभाव में ही बहुत कामनावाला
२. उत्सवप्रिया हि मनुष्याः ।
मनुष्य नित्य नये आनन्द के प्रेमी हुआ ३. (क) मनुष्याः स्खलनशीलाः । (ख) टू ईरर इज ह्यूमन । मनुष्य भूल करने की आदतवाने होते हैं ।
४. पुढो छंदा इह मारवा
करते हैं ।
-- संस्कृत कहावत --अंग्रेजी कहावत
- आचारांग ५।२
नंसार में मानव भिन्न-भिन्न विचारवाले होते हैं ।
५. अगचित्तं खलु अयं पुरिसे ।
से के अहिए पूरिए ।
-- आधारांग ३२
यह मनुष्य अनेक चित्त है, अर्थात् अनेकानेक कामनाओं के कारण मनुष्य का मन बिखरा हुआ रहता है। वह अपनी कामनाओं की पूर्ति क्या करना चाहता है, एक तरह खुलनी को अल से भरना चाहता है ।
६. पकने पर कहुआ होनेवाला एक फल है- 'मनुष्य' । ७. मनुष्य अपनी श्रेष्टता को आंतरिकरूप से और पशुता को बाह्यरूप से |
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प्रकट करते हैं - रूसी कहावत