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________________ २३४ १२. आदमी आदमी में अन्तर, कोई हीरा कोई कंकर । १३. मिनख से काम मिनख सूं सौवार पड़ । वक्तृत्वकला के बीज १४. मानवजाति दो बातों से नष्ट हुई हैं :विलासिता मे और द्व ेष मे - हिन्दी कहावत - राजस्थानी कहावत - शेक्सपियर - १५. गणित को अपेक्षा से मनुष्यों के चार आश्रमों का रहस्य(१) ब्रह्मचर्याश्रम जोड़ (+) है-इसमें वीर्य-विद्या- कला कौशल आदि इकट्ठे किये किए जाते हैं । (२) ग्रहश्राश्रम बाकी ( - ) है – इसमें संगृहीत वस्तु का खर्च होता है । (३) वानप्रस्थाश्रम गुरगा कार (X) है - इसमें हर प्रकार से गुणों की वृद्धि की जाती है । (४) सन्यास आश्रम भागाकार ( - ) के तुल्य है-इसमें प्राप्त किये हुये तप-जप-ज्ञान-ध्यान आदि बांटे जाते हैं । अर्थात् उनका लोगों में प्रचार किया जाता है । - संकलित *
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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