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________________ पांचवां भाग : तीसरा कोष्ठक तीन लाख योजन का जम्बूद्वीप के चारों ओर एक चक्कर लगा देता है अर्थात् सवा चार लाख योजन क्षेत्र लांध देता है। लोक कितना बड़ा है, यह जानने के लिए उपयुक्त शीघ्रगति से उन छहों देवों में से धनीत लोक के मध्य भाग से चार देवता तो चारों दिशाओं में जायें और दो ऊपर नीचे जायें। उस समय हजार वर्ष की आयुवाला एक बालक उत्पन्न होकर पूर्ण आयुष्य भोगकर मर जाये, यावत् उसकी सात पीढ़ियां बीत जायें एवं उसके नाम-गोत्र भी नष्ट हो जायें । इतने लम्बे समय तक भी यदि वे ब्रहों देवता अपनी शीघ्रतरगति से निरन्तर चलते ही जायें तो भी इस लोक का अन्त नहीं आ सकता एवं जितना रास्ता वे सब करते हैं, उससे असंख्यालवा भाग शेष रह जाता है ।। आई स्टीन के मतानुसार प्रति सेतिण्ड एक लाख ८६ हजार मील चल गेवाली प्रकाश की किरणों यदि संसार की परिक्रमा करें तो उन्हें १२ करोड़ वर्ष लग जायेगे । ३. ग्रहों और ब्रह्माण्डों के विषय में वैज्ञानिकों का मत वैज्ञानिकों के पनानुसार यह पृथ्वी एक लम्धूनरें फुटबॉल की तरह गोल है और एक हजार मील प्रति घंटा की गति से अपनी धरी पर घूम रही है तथा ६६ हजार मील प्रति घंटा की गति मे सूर्य की वार्षिक परिक्रमा पूरी कर रही - - - - -
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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