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परिवर्तनशील संसार १. सभी वस्तुएं नवीन और विचित्र रूपों में परिवतित होती रहती हैं।
-लोगफेलो २. पर्यायाथिक-नय की दृष्टि से सारा संसार समय-समय पर बना रहता है।
-अनशास्त्र ३. केवल एक परिवर्तन को छोड़कर सभी वस्तुएँ परिवर्तनशीन हैं।
-जगविल ४. जो कुछ मैं पहले था, वह अब नहीं हूँ ।
-वायरन ५. परिवर्तन के तीन क्रम-पहले हृदय परिवर्तन, फिर जीवन
परिवर्तन और फिर समाजपरिवर्तन ।
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