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________________ १६ गतानुगतिक-संसार १. गतानुगतिको लोको, न लोकः पारमार्थिकः । -पंचतंत्र १।२६६ संसार गतानुगतिक-दुसरों की नकल करनेवाला है, किंतु वास्तविकता को नहीं देस्त्रता । २. कोड़ी नु कटक-एक कोड़ी चाले एटले बधी चाले । -गुजराती कहावत ३. गहरीप्रवाह संसार। -हिन्दी कहावत ४. खरबूज ने देख र स्वरबूजो रंग बदले। -राजस्थानी कहावत ५. दुनियां मथुरा के बंदरों के समान नकल करनवाली है। इंगलैण्ड के राजा के गलगंड (कंठमाल) का रोग हुआ। डाक्टर ने सुन्दर पट्टा लगाया । देखा-देखी लोग भी पट्टा लगाने लगे एवं 'नेकटाई' चल पड़ी। ७. बद् यदाचरति श्रष्ट-स्तत्तद वेतरोजनः । स यत प्रमाणं कुरुते, लोकरतदनुवर्तते ।। गोता ३।११ श्रेष्ठ व्यक्ति जो-जो आचरण करता है, साधारण लोग भी उसी सरह करते है 1 श्रेष्ठ व्यक्ति जो प्रात सत्य मानता है, लोग भी उसके पीछे चलते हैं। ८. श्रेष्ठ पुरुषों को चाहिए कि वे कोई भी ऐसा काम न करें, जिसका अनुकरण करके लोगों को कष्ट का सामना करना पड़े। -पनमुनि
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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