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वक्तृत्वकला के बीज
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४ सारा संसार संतुष्ट है और सारा असंतुष्ट ।
प्रत्येक प्राणी को इस खिचड़ी का भाग मिला हैकहीं दाल अधिक है और कहीं भात ।
- सद्गुरुचरण अवस्थी ५ जो केवल विचारते हैं, उनके लिए संसार सुखमय है, किन्तु जो इसका अनुभव करते हैं, उनके लिए दुःखमय है ।
-होरेस वालपोल ६ जैसे-ईर्ष्या और कुटिलता द्वारा संसार को हम नरक बना
सकते है , वैसे-प्रेम द्वारा स्वर्ग भी। ७. अन्तर जितना उज्ज्वल होगा, जगत उतना मङ्गल होगा।
-संतज्ञानेश्वर