SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 495
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मोक्ष की परिभाषाएँ १. विवेगो मोक्नो । -आचाराङ्ग चूणि १७६१ वस्तुतः विवेक ही मोक्ष है। २. सत्रारंभ-परिग्गहणिक्वेवो, सन्त्रभुतसमया य । एक्करगमणसमाहाणया य, अह एत्तिओ मोक्खो। हत्कल्पभाष्य ४५८५ सब प्रकार के आरम्भ और परिग्रह का त्याग, मब प्राणियों के प्रति समता और चिस की एकाग्ररूपसमाधि-वस इसना मात्र मोक्ष है । ३. कृत्स्नकर्मक्षयादात्मनः स्वरूपावस्थानं मोक्षः। -अनसिद्धांतदीपिका ५।३९ समस्त कर्मों का फिर बन्धन हो-ऐसा जहामून से कर्मक्षय होने पर आत्मा जो अपने ज्ञान-दर्शनमय-स्वरूप में अवस्थित होती है, उसका नाम मोक्ष है। ४. अज्ञानहृदयग्रन्थि नाशो मोक्ष इतिस्मृतः। -शिवगीता हृदय में रही हुई अज्ञान की गांठ का नाश हो जाना ही मोक्ष कहा गया है। आत्मन्येवलयो मुक्ति-र्वेदान्तिक मते मताः। -विवेकविलास वेदान्तिक मत के अनुसार परब्रह्मस्वरूप ईश्वरीय शक्ति में लीन हो जाना मुक्ति है। १४३
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy