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तीसरा कोष्ठक
मोक्ष-(मुक्ति) १. एगे मोक्खे ।
-स्थानांग १ आठों कर्मों के नाशक एक है । २. पाँच प्रकार की मुक्ति :
१. सालोक्यः- भगवान के समान लोक-प्राप्ति । २. साष्टि:- भगवान् के समान ऐश्वर्य-प्राप्ति । ३. सामीप्य:- भगवान् के समीप स्थान-प्राप्ति । ४. सारूप्य:- भगवान् के समान स्वरूप-प्राप्ति । ५. सायुज्य:- भगवान् में लव-प्राप्ति ।
भागवत ३।२६।१३
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