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पांचवां भाग : दूसरा कोक
तो समृद्दा पगईए उदगरमेणं, पारगत सं. जहा- कालोदे, पुवखरोदे, सयंभुगमए । ता समुद्दा बहुँ महाकच्छ भाइपणा पपत्ता, ते नहा- लबणे, कागोदे, सयं भुरमणे ।
-.-:ना नीन ग़मुद्र म्वभाव से ही मामान्य पानी के समान स्वादवाले हैं११) कालोदधि (२) पुष्क रोदधि (३) स्वयंभूरमणसमुद्र । तीन समुद्र मच्छ-कच्छप आदि अलजन्तुओं से अश्विक भरे हुए हैं(१) लवणसमुद्र. (२) कालोदधि, (३) स्वयंभूरमणसभुद्र ।