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________________ भूखा क्या नहीं करता? १. त्यजेत् क्ष धार्ता महिला स्वपुत्र, खादेत् क्ष धार्ता भुजगी स्वमण्डम् । बुभुक्षितः किं न करोति पापं, क्षीगणा गरा निष्करण। भवन्ति ॥ -हितोपदेश ४।५६ आधा म पीडित श्री अपने पुत्र को त्याग देती है, सर्पिणी आपने अडों को ग्वा जानी है । भूत्रा व्यक्ति यया पाप नहीं करता ? क्षाण पुरुष निर्दय हो जाते हैं। २. अभीगतः हन्नु-भासद बुनतः । -मनुस्मृति १०।१०५ भुम्ब से व्याकुल अजीगर्न अपि ने अपने पुत्र शुनागेप को यज्ञ में होम करने के लिए येना । ३. क्षधात श्चात्त,मभ्यागाद् विश्वामित्रः स्वजाघनीम् । चाण्डालहस्तादादाय, धमाधम-विचक्षणः ।। --मनुस्मति १०५८ भूग्न से व्याकुल विश्वामित्र ऋषि पाण्साल के हाथ से लेकर कुत्ते की जांघ का मांस खाने को तैयार हुए । ४. भूख से पीड़ित होकर मृत बालिका को उसके बामभाई स्खा गये । -शातायत अ०१ ५. सन् १६४५ के गभग बंगाल में खाद्याभाव के कारण एक माता अपने बच्चे को पकाकर स्त्रा गई । ४ १३३
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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