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________________ !"... ܣܐ नू में स्वाद -- राजस्थानी कहावत १. सब सूं मीठी भूख । २. भोजन के लिये सबसे अच्छी चटनी भूख है । - सुकरात - ३. भूख मीठी के लापसी । - राजस्थानी कहावत ४. सम्पत्रतरमेवान्नं, दरिद्रा भुञ्जते सदा, क्षत स्वादुतां जनयति साचायेषु सुदुर्लभा । - विदुरनीति २५० गरीब व्यक्ति जो कुछ खाते हैं, स्वादिष्ट ही खाते हैं। भूख भोजन को स्वादिष्ट बना देती है । अनिकों को वह भूख दुर्लभ है । उन्हें प्राय: भूख कम लगती हैं। ५. तरुणं सर्पं पशाकं, नवौदनपिच्छलानि च दधनि । अल्पव्ययेन सुन्दरि । ग्राम्यजनो मिष्ठमनाति || ताजा सरसों का शाक और थिरकी सहित दही में बनाये हुए नये भावों के भोजन खाकर ग्रामीण लोग थोड़े ही खर्चे में मीठा भोजन कर लेते हैं । ६. दि फुल स्टमक लूथ्स दि हनी कोम्ब । भरे पेट पर शक्कर खारी । -अंग्रेजो कहावत ७. अमीर भूख की खोज करता है, गरीब रोटी की खोज - डेनिस कहावत करता है । १३० -
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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