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१. नरत्वं दुर्लभं लोके, विद्या तत्र सुदुर्लभा । कवित्वं दुर्लभ लोके, शक्तिस्तत्र सुदुर्लभा ॥
कविता का महत्त्व
जैसे मनुष्यजन्म दुर्लभ है, और उसमें विद्याप्राप्ति सुदुर्लभ है— उसी प्रकार कवित्व दुर्लभ है, लेकिन कवित्वशक्ति का मिलना तो बहुत ही दुर्लभ है।
२. कविता सु संसार में अमर वर्ण है नाम, कवि मरे, पण नहीं मरे, कविवाणी अभिराम ।
३. का विद्या कवितां विना !
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कविता के बिना विद्या में क्या है !
४. कविता का जामा पहनकर सत्य और भी चमक उठता
है ।
- पोप
५. केषां नैषा कथय कविता- कामिनी कौतुकाय ?
बताओ! यह कवितारूपी कामिनी किसके लिए कौतुक का कारण नहीं बनती ?
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-- सावधानी से समुद्र १८८