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२. मधुरमपि बहुवादित मजीर्ण भवति ।
अनारोग्यमनायुष्य-मस्वर्ग्य चातिभोजनम् ।
---मनुस्मृति २।५७ अधिक भोजन करना अस्वास्थ्यकर है। आयु को कम करनेवाला और परलोक को बिगाड़नेवाला है ।
अतिभोजन
३. अतिमात्रभोजी देहमग्निविधुरयति ।
५.
अविक मात्रा में खाया हुआ मधुर पदार्थ की बदहजमी पैदा कर देता हैं ।
- नीतिवाक्यामृत १६०१२ मात्रा से अधिक खानेवाला जठराग्नि को खराब करता है । बहुभोजी एवं बहुभोगी बहुरोगी होता है ।
- हायोजि नस ५. भूखों मर जाना विवशता है और खाकर मरना मुर्खता । - आचार्य तुलसी
६. आहार मारे या भार मारे ।
- राजस्थानी कहावत
७. मनमां आवे तेम बोलवं नहि नैं भावे तंटलं खातुं नहि । अन्न पारकुं छे परण पेट कई पार नथी ।
- गुजराती कहावत
एकबार खानेवाला महात्मा, दो बार संभलकर खानेवाला
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