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वक्तृत्वकला के बीज
दिया गया। तुरन्त प्रत्यंचा चढ़ाई एवं धनुष-बाण लेकर तैयार हुए। उस समय चन्द्रकवि ने अपनी भाषा में यह दोहा सुनायाचार बांस बोईस गज, अंगुल अE प्रमाण : मार-मार मोटे तधे, मत चूके चौहान ! चौहान सारा मर्म समझ गया । ज्योंहो तबों पर कंकर मारे गये और बादशाह ने उत्साह-वर्धक शाबाश शब्द कहा, शब्दवेधी वीर पृथ्वीराज ने उसी शाबाश शब्द के आधार पर इतना जोरदार बाण मारा कि बादशाह मरकर ओंधे मुह गिर पड़ा। रंग में भंग हो गया और हाहाकार मच गया। मुसलमान ज्योंही पृथ्वीराज को मारने दौड़े । चन्द्र-पृथ्वीराज परस्पर एक-दूसरे को तलवार से मर गये।
-राजपूतो कमाओं से (ज) धर्मकला१. सव्वा कला धम्मकला जिणाइ।
धर्मकला सब कलाओं को जीतने वाली है। २. बावत्तरिकलाकुसला, पंडियपुरिसा अपंडिया चेव ।
सवकलाणं पबरं, धम्मकला जे न हाणति ।। बहत्तर कलाओं में निपुण पण्डित पुरुष भी यदि सब कलाओं में श्रेष्ठ धर्मकला को नहीं जानते तो वे वास्तव में अपठित