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पांचवा भाग दुसरा कोष्ठक
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रुपया मंहगा हो, वह जमाना 'अच्छा' कारण अन्न से ही प्राण टिकते है ।
१४. एक सेठ किसी कारणवश मकान में रह गया। बाहर से बन्द करके आरक्षक दूसरे गाँव चले गए। वहां हीरे, पन्ने, माणिक मोती आदि जवाहरात काफी पड़ा था, लेकिन खाद्यवस्तु बिल्कुल नहीं थी भूखा प्यासा सेठ आखिर मर गया । प्रारण निकलते समय उसने एक कागज पर लिखा कि जवाहर से ज्वार का दाना बेहतर है ।" तुलसीदासजी ने भी कहा है-
तुलसी तब ही जानिए, राम गरीब निवाज । मोती- करण महंगा किया, सस्ता किया अनाज |
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