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________________ ध्याता (ध्यान करनेवाला) १. यस्य चित्तं स्थिरीभूत, स हि ध्याता प्रशस्यते। -ज्ञानार्णव पृ० ५४ जिसका चित्त स्थिर हो, वहीं ध्यान करने वाला प्रशंसा के योग्य है। २. जितेन्द्रियस्य धीरस्य, प्रशान्तस्य स्थिरात्मनः । सुखासनस्य नाशाग्र-न्यस्त नेत्रस्य योगिनः ।। -ध्यानाष्टक ६ यो योगी जितेन्द्रिय है, धीर है, शान्त है, स्थिरआत्मावाला है, वह ध्यान करने के योग्य होता है। ध्याला घ्यानं फलं ध्येयं, यस्य यत्र यदा यथा । इत्येतदन्न बोद्धज्यं, घ्यातः कामन योगिना ।। -तत्वानुशासन ३७ ध्यान के इच्छक योगी को योग के आठ अंगों को अवश्य जानना चाहिए, यथा-- १ ध्याता–इन्द्रिय और मन का निग्रह करने वाला | २ ध्यान–इष्टविषय में लीनता । ३ फल-संवर-निर्जराका । ४ ध्येय--इष्टदेवादि। ५ यस्य-ध्यान का स्वामी । m
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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