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________________ २५ मा. माग : पहला कोष्ठक - लड़के को संतुलित कर घंटों तक विद्य तगति से नाचता रहता है। गोलकुडा (भारत) के शासक, अबुल हसन तानाशाह के दरबार में एक अनोखी नर्तकी थी, तारामती वह प्रति दिन शाह को अपना नृत्य दिखाती थी। लेकिन यह नृत्य बड़ा अद्भुत होता था। पहाड़ पर बने शाह के महल से नर्तकी का निवास करीब आधा मील दूर नीचे पड़ता था । एकजबूत रस्सा महलस नतका के निवास तक तान दिया जाता था। इस रस्से पर नाचती हुई सारामती अपने निवास की छत से महल की छत पर पहुंच जाती थी । यह क्रम सन् १६७२ से १.७७, पाँच वर्षों तक चलता रहा । -विचित्रा, वर्ष ३, अंक ४, १९७१ (घ) तरने की कला-- गत रविवार को सायं को सबसे छोटा तैराक साढ़ेचार साल का था, जो एक ऊँचे पत्थर से तेज यमुनाप्रवाह में छलांग लगाता था । नव वर्ष की एक लड़की नदी के पाट को पार कर गई । चार लड़कियां तैरतो हुई फूलों के आकार बना रही थीं एवं नृत्य कर रही थीं। एक लड़की के हाथ-पैर रस्सी से बांधकर उसे पानो में फेंका गया फिर भी वह तैरकर बाहर आ गई। एक लड़की ने खड़ों लारी दिखाई, वह ऐसी लग रही थी, मानो ! पानी पर चल रही है। एक उस्ताद ने आधे
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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