________________
'मि' त्ति य मेराइडिओ,
'क' त्ति कडं मे पावं,
एसो
'दु' ति दुर्गग्राम अप्पानं ॥ ६८६ ॥
वक्तृत्वकला के बोज
'' ति डेब्रेमि तं जवसमेणं । 'मिच्छादुक्कड'क्ख रत्थो
P
समासेणं ॥ ६८७ ॥
-- आवश्यक नियुक्ति
'नामैकदेशे नामग्रहणम इस न्याय के अनुसार 'मि' कार मृताकोमलता तथा अहंकार रहित होने के लिए हैं। 'छ' कार दोषों को त्यागने के लिए है। 'दु' कार पापकर्म करनेवाली अपनी आत्मा की निन्दा के लिए है। 'क' कार कृत-पापों की स्वीकृति के लिए है । और 'ड' कार उन पापों का उपशमन करने के लिए है यह "मिच्छामि दुक्कड' पद के अक्षरों का अर्थ है ।
¤