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________________ १७ प्रायश्चित्त १. प्रायः पापं विनिर्दिष्टं, चित्तं तस्य विशोधनम् । -धर्मसंग्रह ३ अधिकार यः का अर्थ 'पाप है 37 हा या प्राणाप का शोधन करना है अर्थात् पाप को शुद्ध करनेवाली क्रिया का नाम प्राय श्चित्त है। २. अपराधो वा प्रायः चित-शुद्धिः प्रायस चित्तं प्रायश्चित्तंअपराध-विशुद्धि । -राजवातिक ।२२।१ अपराध का नाम प्रायः है और चिता का अर्थ शोधन है। प्राय शिवना अर्थात् अपराध की शुद्धि । ३. पावं छिदइ जम्हा, पायच्छित्तति भण्णा तेणं ।। -पंचाशक सटीक विवरण १६॥३ पाप का छेदन करता है अतः प्राकृत भाषा में इसे 'पायच्छित्त' कहते हैं। प्रायइत्युच्यते लोक-स्तस्य चित्तं मनो भवेत् । तच्चित्त-ग्राहकं कर्म, प्रायश्चित्तमिति स्मतम् ।। –प्रायश्चित्तसमुच्चयवृत्ति प्रायः का अर्थ लोफ-जनता है एवं चिन्ता का अर्थ मन है। जिस क्रिया के द्वारा जनता के मन में आदर हो, उरा क्रिया का नाम प्रायश्चित्त है। ४०
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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