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________________ पांचवां भाग पहला कोष्ठक अनशन - आहार त्याग दो प्रकार का कहा है(१) इत्aरिक (२) यावत्कथिक । ३७ इत्वरिक के अनेक भेद हैं— चतुर्थभक्त - उपवास, पष्ठभक्तबेला........यावत् पाण्मासिकभक्त (छ महिनो का तप ) | यावत्कयिक —— यावज्जीवन आहारत्याग दो प्रकार का कहा है(१) पादपोपगमन ( २ ) भक्त प्रत्याख्यान । ५. जो सो इत्तरिओ तवो, सो समासे छवि हो । सेढितो परतवो चरणो य तह होइ वग्गो य ।। १० ।। ततो य वग्गग्गो पंचम छुट्टओ पइराणतवो । मरणइच्छित्तत्थो, नायब्बो होइ इत्तरिओ ॥ ११ ॥ — उत्तराध्ययन अ० ३० इरिक तप संक्षिप्त रूप में हार का है--- (१) श्र ेणितप (२) प्रतरतप, (३) घनतप, (४) वर्गतय, (५) वर्ग - वर्ग, (६) प्रकीर्णतय - यह इत्वरिक तन मन इच्छित फल देनेवाला है । , ६. संबंच्छरं तु पढमं मज्झिमगाराट्ठमा सिय होई । छम्मासं पच्छिमस्स उ माणं भरिष्यं तदुक्कोसं ॥ -- व्यवहारभाष्य उ० १ प्रथमतीर्थकर का एक वर्ष मध्यतीर्थ करों का अष्टमान एवं चरमतीर्थ कर का उत्कृष्ट तप षट्मास था । J ¤
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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