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पनियां भाग: पहला कोष्ठक
६. जे के वि गया मोक्खं, जेबि य गच्छति जे गमिस्सति ।
ते
सव्वे
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सामाइय
प्रभावेण
मुषेयं ॥ जो भी साधक अतीतकाल में मोक्ष गये हैं, वर्तमान में जा रहे है और भविष्य में जायेंगे, यह सब सामायिक का प्रभाव है । तवेरां, कि जवेखं किं चरित े ।
१०. कि तिब्बे समधाइ विण मुक्खो, न हुहुओ कवि न हु होइ ॥ - सामायिक प्रवचन, पृष्ठ ७६ चाहे कोई कितना ही सी तप तपे, जप-जग अथवा मृनि वेष धारण कर स्कूल क्रियाकाण्डरूप चारित्र पनि परन्तु समताभाष रूप सामाजिक के बिना न किसी को मोक्ष हुआ है और न होता ।
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