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साधुओं का विहार
१. बहता पाणी निरमला, पड़ा गॅधीला होय । साधु तो रमता भला, दाग न लागे कोय ।।
- राजस्थानी पोहा २. ए रोलिंग स्टोन गेदर्स नो मोस । - अंग्रेजी कहावत
बरे संग गर्दा नरोयद नबात । –पारसी कहावत
रमता राम माधु बदनाम नहीं होता। ३. ग्रीष्म-हेमन्तकान मासा-नष्टौ प्रायेण पर्यटेत् । दयाय सर्वभूतानां, वर्षास्कर संवसेत् ॥
--मनुस्मृति गर्मी-मर्दी के आठ महीनों में साधु प्राय: पर्यटन' करे एव
मीनों की दया के लिए धाप ऋतु में एक ही स्थान पर रहे । ४. अटो मासा विहारस्य, यतीनां संयत्तात्मनाम् । एकत्र चतुरोमासान्, वार्षिकान्निबसेत् पुनः ।।
--: मरस्यपुराण भयभी माशुओं में निए आठ महीने तिहार के हैं एवं वर्षाऋतु के चार महीने एक स्थान में निवास करने योग्य हैं अत: उस समय उन्हें एक ही स्थान में रहना चाहिए ।
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