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चौथा भाग : चौथा कोष्ठक
५. कप्पइ निग्गंथाणं वा निग्म थीणं वा पंच रयहरणाई धारित्तए वा परिहरित्तए, या 1
-- स्थानांग ॥३॥४४६ साधु-साध्वियां पांच प्रकार के रजोहरण (ओधा) रस सकते हैं --का के. ऊँट के लोग के. स के. नरम घास के और फूटी हुई मूज के ।