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________________ २८ साधुओं का निवास स्थान सुसाणे सुन्नगारे वा, रुखमुले व एगओ। पइरिकके परकड़े वा, वासं तत्थाऽभिरोयए ।।६।। फासुयम्मि अणाबाहे, इत्थीहि अणभिदुए। तत्थ संकप्पए वासं, भिक्खू परमसंजए १७|| न सयं गिहाई कुविज्जा, नेव अन्नेहि कारए । गिकम्मसमारम्भे, भूयाणं दिस्सए बहो ।।८।। --उसराध्ययन ३५ गाधु श्मशान, सूनाघर, वृक्ष के नीचे अथवा परकृत (गृहस्थ ने जो अपने लिए बनाया) एकान्तस्थान में एकाकी रहना पसंद करे ॥६॥ जो स्थान प्रासुक हो, किसी को पीडाकारी न हो, एवं जहाँ स्त्रियों का उपद्रव न हो, परम संयमी साधु उस स्थान में निवास करे ॥७॥ साधु स्वयं घर आदि न बनाये और दूसरों से न बनवाये, क्योंकि गृह आदि कार्य के समारम्भ में प्राणियों की हिंसा प्रत्यक्ष दिखाई देती है ।।८।।
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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