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________________ सलाह के विषय में विविध ११ १. अनायुक्तो मन्त्रकाले न तिष्ठेत् ॥ - नीतिवाक्यात १०.३२ कोई भी व्यक्ति मन्त्रणा के समय बिना बुलाया हुआ उस स्थान पर न ठहरे ! २. न तैः सह मन्त्र कुर्यात्, येषां पक्षीयेष्वपकुर्यात् । नीतिवाक्यामृत १०।१ जिसने जिनके बन्धु आदि कुटुम्बियों का अपकार-अनिष्ट (वधबंधनादि) किया है, उसे उन विशेधियों के माथ गुप्त सलाह नहीं करनी चाहिए। ३. आकाशे प्रतिशब्ददति चाश्रये मन्त्र न कुर्यात् । - नीतिवाक्यामृत १०/२६ जो स्थान चारों तरफ से खुला हो, ऐसे स्थान पर तथा पर्वत व गुफा आदि में जहाँ प्रतिध्वनि निकलती हो, वहां मन्त्रणा नहीं करनी चाहिए । ४. दिवा नक्तं वाऽपरीक्ष्य मन्त्रयमाणस्याभिमतः प्रच्छन्नो वा भिनत्ति मन्त्रम् | - नीतिवाक्यात १०।२९ जो व्यक्ति दिन या रात्रि में योग्य स्थान की परीक्षा किए बिना ही मन्त्रया करता है, उसका गुप्तमन्त्र प्रकाशित हो जाता है । १५
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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