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________________ वस्तृत्वकला के बीज ५. इंगितमाकारो मदः प्रमादो निद्रा च मन्त्रभेदकारणानि । –नौतिवाक्यामृत १०॥३५ गुप्तमन्त्र का भेद निम्नप्रकार पांच बातों में होता है, अतएब उनसे सदा सावधान रहना चाहिए यथा—(१) इंगित (गुप्तमन्त्रणा करनेवाले की मुखचेष्टा), (२) शरीर की सौम्य या रौद्र आकृति (३) शराब पीना, (४) प्रमाद (असावधानियाँ करना) (५) निद्रा । . पटको भिद्यते मन्त्रश्चतुष्कर्ण; स्थिरी भवेत । तस्मात्सर्वप्रयत्नेन षट्कर्ण वर्जयेत् सुधीः ।। -पञ्चतन्त्र श१०८ 'छ: कन्नी' (तीन व्यक्तियों के सन्मुख की हुई) बात फूट जाती है किन्तु 'चौकन्नी' गुप्त रह सकती है । अतः बुद्धिमान लोगों को चाहिए कि वे तीन व्यक्तियों के सामने कोई गुप्तमन्त्रणा न करें ! ७. दो व्यक्ति सलाह करते हों तो तीसरे को बहां बिना बुलाये नहीं जाना चाहिए। रजा भोज एक दिन अचानक महल में चला गया । रानी उस समय दासी से बात कर रही थो । राजा को आता देखकर वह वोली-आओ मूर्ख ! राजा क्रुद्ध एवं विस्मित होकर लौट पड़ा। दरबार में पण्डित आते गए और राजा उन्हें कहता गया-"आओ मूर्ख ! आओ मुर्ख !" अन्त में कालिदास ने निम्नलिखित श्लोक कह कर राजा का समाधान किया ।
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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