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आहार किसलिए ।
___ आयगुत्ते सया वीरे, जायामायाइ जावए।
–आचारांग ३।३ जात्मगुप्त वीरपुरुष संयमयात्रा के निर्वाहार्य आवश्यकतामात्र आहार से जीवन यापन करे । भारस्स जाया मुणि भुजएज्जा ।
-सूत्रकृतांग ७।२६ मुनि को केवल रांयमयात्रा को निभाने के लिए आहार करना चाहिए। अलोलं न रसे गिद्ध, जिब्भादंते अमुच्छिए। न रसट्ठाए भुजिज्जा, जवणलाए महामुणी 11
- उत्तराध्ययन ३५॥१७ लोलुपतारहित, रसगृद्धिरहित, निहन्द्रिय को दमन करनेयाना एवं भोजन-संग्रह की मूच्र्छा से रहिन महामुनि स्वाद के लिए भोजन न करे, किन्तु संयमयात्रा का निर्वाह करने के लिए करे । संयम भार-बहणठ्याए बिलमिव पन्नगभूएणं । अप्पाणणं आहारमाहारे।।
-भगवती ७१ साधु-साध्वी संयमभार का निर्वाह करने के लिए बिल में साँप की तरह जबररूप कोठे में आहार को प्रवेश कराएं ।