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गोचरी के भेद
१. छबिहा गोयरचरिया पण्णत्ता, तं जहा—पेड़ा, अद्धपेडा, गोमुत्तिया, पतंगवीहिया, संबुक्कवट्टा, गंतुपच्चागया ।
–स्थानांग ६।५१४ छ: प्रकार की गोचरी कहीं है-(१) पेटा, (२) मर्धपेटा, (३) गोमूत्रिका, (४) पतङ्गवीथिका, (५) शम्बकावता, (६) गतप्रत्यागता ।
(उत्तराध्ययन ३०।१६ में भी यह वर्णन है) २. विधा भिक्षपि तत्राद्या, सर्वसंपत्करी मता । द्वितीया पौरुषघ्नीस्याद्, वृत्तिभिक्षा तथान्तिमा ॥
-हितोपदेश २०२० भिक्षा तीन तरह की होती है-- (१) सर्वसंपत्करी-साधु को निदोर्ष वस्तु देना । (२) पोरुपनो-साधु को सदोषवस्तु देना। (६) वृप्ति- अन्धे, बहरे आदि को कुछ देना।