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वक्तृत्वकला के बीज
१६. लद्धे पिण्डे अलद्ध बा, णाणुतप्पेज्ज पंडिए |
-उसराध्ययन ३० आहार मिलने या न मिलने पर बुद्धिमान साधु खेद न करे । १७. अज्जे वाहं गं लब्भामि, अवि लाभो सुए सिया ।
-उत्तराध्ययन २।३१ आहार आदि न मिलने पर साधु विचार करे की मुझे आज आहार नहीं मिला तो संभवतः कल मिल जायेगा ।