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साधु-संगति
१. चन्दनं शीतलं लोके, चन्दनादपि चन्द्रमाः।
चन्द्र-चन्दनयोर्मध्ये, शीतला साधुसंगति :। चन्दन जगत में शीतल है और चन्दन से भी चन्द्रमा शीतल है । चन्द्र और चन्दन-इन दोनों से भी साघुओं की संगति
अत्यधिक शीतल है। २. ना सुख पढ़िया पंडितां, ना सुख भूप भयो ।
सुख है बीच विचार दे, साधुसंग पयां ।। ना सुख बीच गृहस्थ में, ना सुख छाड़ गया । सुख है बीच विचार दे, साधु संग पयां ।।
-पंजाबरी पर ३. सुत दारा अरु लक्ष्मी, पापिहु के घर होय ।
संत समागम हरिकथा, तुलसी दुर्लभ दोष ॥ ४. तात मिले पुनि मात मिले,
सुत भ्रात मिले युवती सुखदाई । राज मिले गज-बाज मिले,
सब साज मिले मन बंछित आई। लोक मिले परलोक मिले,
सुरलोक मिले बैकुठ में जाई ।