________________
दौथा भाग : चौथा कोष्ठक रूप उन्हों कूहि लोडिए जो कोई,
नारी का आसक होय लटिंदा । फकीरी का राह कठिन है, उली पग धरतां निकले दूध छटिंदा ।
-भाषाश्लोकसागर ६. गिहं न छाए पि छायएज्जा। -सूत्रकृतांग १०३१५
साधू स्वयं न छप्पर छाए और न दूसरे से छवाए । ५. आरा शहर में मुहम्मद अलतवी कलेक्टर ने एक फकीर
से पूछा-अच्छे साधु कहाँ देखे ? फकीर -- कुभ के मेले में। कलेक्टर—मुसलमान होकर कुभ का नाम कैसे ? फकीर—जैसे ऊपर चढ़े व्यक्ति की दृष्टि में छोटे-बड़े सभी वृक्ष एक समान होते हैं, उसी प्रकार जिसका मन संसार से ऊपर उठ गया है, उसके दिल में हिन्दुमुसलमान का भेद नहीं रहता।