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________________ १७ १. फकीर का अर्थ फे-फाका (तपस्या),काफ- कनायत ( फाके पर भरोसा), इये - या इलाही, ( पल-पल में प्रभु का स्मरण), रे - रियायत - संयम में ना काप इसे एडी) व यह है कि जो तपस्या करता है एवं उसमें भरोसा रखता है तथा प्रभु का स्मरण करता हुआ संयम में रहता है, वह फकीर है । २. फिक छोड़ फराकमल घर चित्त आतम घोर, दया कपन पहने फिरे, ताको नाम फकीर । फकीर ३. फिकर फिकर को खात है, फिकर फिकर का पीर, फिकर का जो फाका करे, ताको नाम फकीर ॥ ४. फकीर सोही फरक रहे, नहि संग करे विषयी जन केरा, आप वाल में मस्त रहे, वाड़ी बाग बजार मसोत में डेरा । आप उपाय न छावत छप्पर, होत खुशी जहां लेत बसेरा, 'रामचरण' खुदा भख भंजन, बार गिने नहि सांझ सवेरा ।। ५. मेडिव मंदिर छोड़ के क्यूं बन, बांधत झूपड़ी फूस तटिंदा, लूखड़ो-सूकड़ी खाय रहो, काला मुँह करो तुम खाट मटिदा । २६२
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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