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१. फकीर का अर्थ
फे-फाका (तपस्या),काफ- कनायत ( फाके पर भरोसा), इये - या इलाही, ( पल-पल में प्रभु का स्मरण), रे - रियायत - संयम में ना काप इसे एडी) व यह है कि जो तपस्या करता है एवं उसमें भरोसा रखता है तथा प्रभु का स्मरण करता हुआ संयम में रहता है, वह फकीर है ।
२. फिक छोड़ फराकमल घर चित्त आतम घोर, दया कपन पहने फिरे, ताको नाम फकीर ।
फकीर
३. फिकर फिकर को खात है, फिकर फिकर का पीर, फिकर का जो फाका करे, ताको नाम फकीर ॥
४. फकीर सोही फरक रहे, नहि संग करे विषयी जन केरा, आप वाल में मस्त रहे, वाड़ी बाग बजार मसोत में डेरा । आप उपाय न छावत छप्पर, होत खुशी जहां लेत बसेरा, 'रामचरण' खुदा भख भंजन, बार गिने नहि सांझ सवेरा ।। ५. मेडिव मंदिर छोड़ के क्यूं बन,
बांधत झूपड़ी फूस तटिंदा,
लूखड़ो-सूकड़ी खाय रहो,
काला मुँह करो तुम खाट मटिदा ।
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