________________
१२
१. संसारे भयं इक्खतीति भिक्खु ।
कासारखा
क. पंच य फासे महबयाई, पंचासबसंवरे जे स भिक्खू ।
(x)
भिक्षु
- विसुमियो १४७
है।
जो पांच महाव्रतों का पालन करता है एवं मिथ्यात्व आदि पाँच अत्रवों को रोकता है. 'वह भिक्षु हैं ।
1
ख. सचित नाहारए जे स भिक्खू । ( ३ )
जो कभी बोजादि सचित्त का आहार नहीं करता, वह 'भिक्षु' है ।
ग. समसुह- दुक्खसहे य जे स भिक्खू । ( ११ )
जो सुख दुख को समभाव से सहन करता है, वह भिक्षु' है । घ. तवे रए सामणिए जे स भिक्खू । (१४)
२५०
- दशकालिक १०
जो तप और संयम में रक्त होता है, वह भिक्षु ' है । २. मणवयकायसुसंवडे स भिक्खू ।
- उत्तराध्पयन १५।१२
मन-वचन-काया से जो संवृत है, वह 'भिक्षु' है ।
J
३. से वंता कोहं च माणं च मायं च एवं पासगस्स दंसणं । - आचारांग ३१४