SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौथा भाग पहला कोष्ठक ५. महान् विचार जब कार्य के रूप में परिणत होते है तो वे महान् कार्य वन जाते हैं । - हैजलिट संसार न कुछ भला है, न कुछ बुरा है । हमारे विचार ही उसे भला-बुरा बनाते हैं । - शेक्सपियर ७. आत्मा के विचार पानी हैं। उसमें गन्दगी मिलना पाप - एवं सुगन्धि मिलना पुण्य है । ८. मनुष्य वैसा ही बन जाता है, जैसे उसके विचार होते हैं। बाइबिल ६. विचार जब आचार की देहली में प्रविष्ट होते हैं, तब सुरक्षित बन जाते हैं। - जीवनसौरभ १०. विचार मर्यादापूर्ण, सहानुभूतिमूलक और परिमित होने से हो समाहत होता है । - हरिऔध - एमर्सन ११. हमारे सर्वोत्तम विचार दूसरों की देन हैं । १२. वह मुझे सुन्दर उपहार देता है, जो मुझे अपूर्व विचार सुनाता है। नवी १३. जैसे आप महान् विचारवान है, वैसे ही करके दिखाने वा बनें । - शेक्सपियर १४. सोचना शान्ति से और करना तेजी से । - जवाहरलाल नेहरू
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy